मालदीव में 2018 में अब्दुल्ला यामीन की सरकार गिरने के बाद भारत के करीबी माने जाने वाले मोहम्मद नशीद के नेतृत्व ने उनकी जगह ली। इस दौरान नशीद ने अपने साथी इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को राष्ट्रपति बनाया। दोनों ही नेताओं ने अपने पूरे कार्यकाल में भारत के साथ रिश्तों को बढ़ावा देना जारी रखा है। इस मुद्दे पर कई बार उनकी सरकार की आलोचना भी हुई है कि वे भारत पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हैं। हालांकि, सोलिह का साफ कहना है कि भारत उनका सबसे अच्छा और करीबी मित्र देश है और उन्हें बेहतर होते संबंधों का कोई खेद नहीं।
द हिंदू अखबार को दिए इंटरव्यू में सोलिह ने कई सवालों के जवाब दिए हैं। जब उनसे पूछा गया कि मालदीव में राजनीतिक विपक्ष और आलोचक लगातार आपके प्रशासन पर मालदीव को भारत को बेचने का आरोप लगाते हैं और राजधानी माले की सड़कों पर रैली निकालते हैं, साथ ही सोशल मीडिया पर भारत को निकालने की मांग करते हैं। इस पर सोलिह ने पिछली सरकार को ही घेर लिया।
उन्होंने कहा, “हम पहले की सबसे अलग होने की विदेश नीति बदल रहे हैं और अपने पड़ोसी के साथ मिलकर अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत कर रहे हैं। साथ ही एक स्वायत्त देश के तौर पर अपना सम्मान बढ़ा रहे हैं। मालदीव अपने सबसे बड़े पड़ोसी के साथ संबंध बढ़ाने के लिए बिल्कुल भी खेद नहीं प्रकट करता। वह हमारा सबसे करीबी अंतरराष्ट्रीय साथी है। हम खुश हैं कि भारत सरकार और मालदीव सरकार के बीच कई विकास कार्यक्रमों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। मालदीव के भरोसे वाले साथियों के साथ सिर्फ गिरी हुई राजनीति के लिए संबंध खराब करना काफी गैरजिम्मेदाराना है।”
अमेरिका के साथ डिफेंस डील और जापान के साथ कोस्ट गार्ड को मजबूत करने के मालदीव सरका के फैसले पर सोलिह ने कहा कि “मालदीव हमेशा से हिंद महासागर क्षेत्र में शांति का समर्थक रहा है। हमारे अंतरराष्ट्रीय जुड़ा वाणिज्यिक सहयोग बढ़ाने, क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा बढ़ाने के साथ अपने देश की अर्थव्यवस्था बेहतर करना है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण जैसे अहम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सामने रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। हम यह सभी लक्ष्य ऐसे साथियों की मदद से पूरे कर सकते हैं, जिनके लक्ष्य भी समान हों।”
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